पर्यटकों की संख्या में कमी के बावजूद भी पेयजल संकट

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उत्तराखंड समाचार 365/धनवीर सिंह कुंमाई

मसूरी –पर्यटन नगरी मसूरी में पर्यटकों की संख्या में काफी कमी देखी जा रही है। बावजूद इसके शहर की पेयजल आपूर्ति चरमरा जाने से जगह-जगह पेयजल कि कमी देखने को मिल रही है। मॉनसून सीजन खत्म होने के बाद और पर्यटकों कि कमी के बावजूद भी शहर के कई क्षेत्रों में पेयजल की भारी किल्लत बनी हुई है जिससे क्षेत्रवासीयों में भारी रोष व्याप्त है।

नगर पालिका के वार्ड नंबर 3 की सभासदा बबीता मल्ल द्वारा बताया गया कि विगत एक माह से वैसे तो सम्पूर्ण वार्ड पेयजलापूर्ति कि कमी से जूझ रहा हैं, परन्तु विशेषकर राजमंडी में पेयजल संकट गंभीर बना हैं।

इंदिरा कॉलोनी वार्ड सभासद रणवीर कंडारी द्वारा बताया गया कि कुछ समय पहले तक उनके वार्ड में पेयजल आपूर्ति की समस्या देखी जा रही थी। मगर अब कुछ हद तक वार्ड में पेयजल संकट में कमी आई है।

हुसैनगंज वार्ड सभासद पवन थलवाल ने कहा कि गढ़वाल जल संस्थान के अधिकारियों से वह एक माह से पेयजल आपूर्ति ना होने कि शिकायत करते आ रहे हैं। परंतु आज वह हुसैनगंज वासियों  को लेकर गढ़वाल जल संस्थान ऑफिस के उच्च अधिकारियों का घेराव करेंगे।

भरत सिंह चौहान ने बताया कि लंढौर क्षेत्र को मानों जल संस्थान मसूरी भूल ही चुका है कि हम शहर का हिस्सा हैं। पेयजल आपूर्ति की समस्या से लंढौर क्षेत्र विगत लंबे समय से ग्रसित है।

संजय अग्रवाल अध्यक्ष होटल एसोसिएशन मसूरी द्वारा कहा गया कि विगत दिनों से मसूरी में पर्यटकों की खासी कमी देखी जा रही है। अगर वर्तमान समय में गढ़वाल जल संस्थान द्वारा पेयजल आपूर्ति में इतनी कमी हो रही है, तो भविष्य में हमारे शहर का क्या होगा.? यमुना पंपिंग योजना बनकर तैयार है और यदि इस समय भी वह मसूरी के लिए उपयोग में नहीं आ रही है तो विचारणीय प्रश्न हैं।

उत्तराखंड जल संस्थान के अधिशासी अभियंता अमित कुमार से पूछें जानें पर कि वर्तमान समय में यहां पर्यटकों की संख्या काफी कम हैं। इस समय भी पेयजल कि किल्लत किस कारण से हैं, तो अमित कुमार द्वारा बताया गया कि यमुना पंपिंग योजना के चलते पहले के मुकाबले कनेक्शन की संख्या बढ़ी हैं। जिस कारण पेयजल की खपत भी बढ़ गई हैं। कई जगह जल स्रोतों पर मलबा जमा हो गया था। जिससे कुछ समय के लिए पेयजल आपूर्ति  बाधित रही। जल्द ही यमुना पेयजल पंपिंग योजना सुचारू हो जाएगी जिससे समस्या का हल हो जाएगा।

गौरतलब बात है कि एक शहर के विभिन्न स्थानों पर पेयजल आपूर्ति विरोधाभासी तरीके से होना। कहीं ना कहीं पाइप-लाइन खराबी, तकनीकी समस्या हों या कुछ बुद्धिजीवी लोगों का कहना है कि विभागीय अधिकारीयों का लंबे समय से एक ही स्थान पर रहना भी समस्या को बढ़ा रहा हैं शायद…?

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